रैकॉन (रडार ट्रांसपोंडर):
रेकॉन
रेकान (रडार बीकन) का उपयोग पत्तनों और बन्दरगाह अधिकारियों द्वारा नाविकों को नौचालनार्थ स्थिर अथवा तैरती हुई नौचालन सहायता के स्थान को आसानी से पहचानने में मदद करने के लिए किया जाता है। आईएमओ रेकान को रडार ट्रांसपोंडर के रूप में भी संदर्भित करता है जो रडार संकेत की पहचान होने पर मोर्स कोड का उपयोग करके डाटा प्राप्त/संचारित करके संचालित होता है। ट्रीगरिंग रडार के समान आवृत्ति पर संकेत प्रसारित होता है, जिससे कोडित कर नौचालन संकेत पोत के रडार पर स्वचालित रूप से दिखाई देने में सक्षम होता है। रेकान प्रसारण बेहद सटीक होते हैं और नाविकों के लिए बहुत सहायक सिद्ध होते है। रेकान का उपयोग सामान्यत: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की महत्वपूर्ण सम्पत्तियों को चिन्हित करने हेतु किया जाता है जैसे:
दीपस्तंभ
भूस्खलन और बाधित तट रेखाएँ
अपतटीय स्थल और संरचनाएँ
नए अथवा अज्ञात खतरे
विशाल पोतों के प्रचालन हेतु केंद्र और घुमावदार स्थल
संयोजकता विकल्प के रूप में उपलब्धता ही रेकान के उपयोग किए जाने की प्राथमिक लाभ है। यह उपकरण कोहरे अथवा खराब मौसम और किसी भी समुद्री परिस्थितियों से अप्रभावित रहते हुए लगभग हर प्रकार के मौसम में संचालन की स्थिति में रहेगा। पोत के रेडार पर भी रेकॉन के संकेत सहित प्रदर्शित होते है, जिससे नाविक को नौवहन संबंधी निर्णय लेने में सहायकता मिलती है। रेकान की सीमा, विश्वशनीयता, उपलब्धता और दृश्यता के कारण ही नाविक रेकान पसंद करते हैं।
रेकान एक अत्यधिक संवेदनशील, एकल इकाइ उपकरण है जो अत्यधिक विशिष्ट अनुप्रयोगों हेतु सामान्यत: एक्स-बैंड (10GHz) और/ अथवा एस-बैंड (3GHz) आवृतियों पर संचारित होता है। रेकान की दृष्टि पहुँच सीमा सामान्यत: 15 समुद्री मील से अधिक होती है। नौचालन के क्षेत्र में इसकी आयु अन्य सामान्य नौचालन सहायता उपकरणो से अधिक होती है। अधिकतम प्रचालन सीमा हेतु दृष्टि की स्पष्ट रेखा की सुनिश्चतता आवश्यक है, क्योंकि किसी भी प्रकार की रुकावट रेकान संकेत के निष्पादन में बाधा बन सकती है।ा
तकनीकी मापदंड
एंटीना – प्रसारण बैंड के आकार पर निर्भर करता है
रिसीवर – आवृति, अवरोधक अवधि, प्राथमिक रडार तरंगों का आवर्तकाल
ट्रांसमीटर – आवृति
प्रतिक्रिया – प्राप्ति विलंबता, चिन्हित संकेतीकरण (मोर्स वर्ण), अवधि
रेकान सामान्त: बैटरी (12वी) के आधार पर प्रचालित होता है और सौर पैनलों द्वारा रिचार्ज किया जाता है। आरएस232 संचार पोर्ट कनैक्शन के माध्यम से लैपटाप कम्प्यूटर का उपयोग कर ऑनसाइट प्रोग्राम करना आसान है। रेकॉन के एकबार संस्थापित और प्रचालित होने के पश्चात, इसके नियमित रखरखाव में न्यूनतम अनुरक्षण की आवश्यकता होती है।
क्र.सं. | स्टेशन का नाम | कोड | निदेशालय |
---|---|---|---|
1 | जखाउ | M | वी.टी.एस. गांधीधाम (07) |
2 | मांडवी | G | |
3 | नवलक्खी | B | |
4 | नवीनाल | C | |
5 | पिरोटन | K | |
6 | बुराल | D | |
7 | ओखा | O | |
8 | कच्छीगढ़ | K | जामनगर (09) |
9 | द्वारका | G | |
10 | पोरबंदर | D | |
11 | वेरावल | K | |
12 | दियू हैड | D | |
13 | सवायबेट | M | |
14 | गोपनाथ | G | |
15 | अलंग | C | |
16 | पिरम | B | |
17 | लुहारा प्वाईंट | D | मुम्बई (05) |
18 | हजीरा | K | |
19 | उमरगांव | M | |
20 | कोरलई फोर्ट | O | |
21 | रत्नागिरी | G | |
22 | अग्वाद | O | गोवा (04) |
23 | वैंगुर्ला रॉक्स | D | |
24 | सूरतकल | C | |
25 | ऑयस्टर रॉक | D | |
26 | माउंट डिली | K | कोचीन (11) |
27 | बेपोर | G | |
28 | अन्द्रोथ | D | |
29 | किल्टन (दक्षिण) | O | |
30 | अगत्ती | B | |
31 | कडमत | G | |
32 | विजिंजम | O | |
33 | मिनिकॉय | G | |
34 | सुहेलीपार | O | |
35 | कवरत्ती | K | |
36 | वाइपिन | K | |
37 | कन्याकुमारी | C | चेन्नई (09) |
38 | पंडियन टिवू | O | |
39 | मनप्पड़ | G | |
40 | मुट्टम | M | |
41 | पोर्टो नोवो | B | |
42 | नागापत्तनम | G | |
43 | पांडिचेरी | D | |
44 | चेन्नई | K | |
45 | पुलीकट | B | |
46 | कृष्णापत्तनम | C | विशाखापट्टणम (05) |
47 | रामयापत्तनम | K | |
48 | वकालपुड़ी | G | |
49 | अंतर्वेदी | B | |
50 | डॉलफिंस नोज़ | O | |
51 | पारादीप | K | कोलकाता (03) |
52 | गोपालपुर | G | |
53 | दरियापुर | G | |
54 | ईस्ट आईलैंड | D | पोर्ट ब्लेयर (11) |
55 | नार्थ प्वाईंट | K | |
56 | किटिंग प्वाईंट | O | |
57 | इंदिरा प्वाईंट | G | |
58 | चौड़ा आईलैंड | B | |
59 | प्रौंग्स रीफ | G | |
60 | बी.एल.क्यू II (बासेन फील्ड) बी.ई 19°07.39’उ 72°06.44’पू | C | |
61 | नीलम (हीरा फील्ड) एन.एल.एम-11 18°48.41’उ 72°20.04’पू | G | |
62 | एस.एच.क्यू (साउथ फील्ड) ड्बलयू.आई-10 19°17’33.41”उ 71°16’54.7’पू | D | |
63 | ड्ब्लयू आई एन (नार्थ फील्ड) ड्ब्लयू आई-219°37.84’उ 71°17.77’पू | B | |
64 | तापती (एस.टी.डी) 20°32.44’उ 71°58.29’पू |
C |