बित्रा दीपस्तंभ
बित्रा की एक अनोखी विशेषता यह है कि यह एक छोटा सा द्वीप है जिसके चारों ओर बहुत बड़ा लैगून है। इस द्वीप के लिए कोई चार्टेड लंगरगाह नहीं है इसलिए जहाज लंगर नहीं डाल पाते हैं और यात्रियों और माल को उतारने/ चढ़ाने के लिए द्वीप से उत्तर पूर्वी क्षेत्र में धीरे-धीरे गतिमान स्थिति में रहते हैं। नावों के लिए चट्टानों में से केवल एक प्रवेश द्वार है, जो लगभग 100 मीटर चौड़ा है और जहां पानी की गहराई मात्र 2.5 मीटर तक की है। वर्ष 1977 तक इस द्वीप पर लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी। लकड़ी का एक ट्रेसल खड़ा किया गया था जिसके ऊपर डी ए गैस संचालित फ्लैशर और सन-वाल्व के साथ 300 मिमी उपकरण (बीबीटी) स्थापित किया गया था। यह लाइट दिनांक 15 मई 1977 को चालू की गई थी। इसके पश्चात लकड़ी के ट्रेसल को मेसर्स केरल इलेक्ट्रिकल एंड एलाइड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, कोचीन द्वारा आपूर्ति किए गए 30 मीटर ऊंचे जी. आई. ट्रेसल टावर के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। मद्रास दीपस्तंभ वर्क शॉप से 500 मिमी आकार के ऑप्टिक उपकरण को डी ए गैस फ्लैशर सहित लालटेन से बदल दिया गया था। इस उपकरण को दिनांक 7 मई 1984 को सेवा में चालू किया गया था। आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अधीन वर्ष 1995 में, ओखा से सीधे एमवी सागरदीप द्वारा लायी गयी बित्रा दीपस्तंभ पहली लाइट थी जिसे संयुक्त स्थापित टीम द्वारा संस्थापित किया गया था। डी ए गैस उपकरण को हटा दिया गया और सौर चार्ज बैटरी पर चलने वाले ज्योति पुंज इलेक्ट्रॉनिक फ्लैशर (जे एल डब्ल्यू एल) को स्थापित किया गया था। नई प्रणाली दिनांक 30 अक्टूबर 1995 को सेवा में शुरू की गई थी। लक्षद्वीप द्वीप समूह में बित्रा सबसे छोटा बसा हुआ द्वीप है। इसकी लंबाई 0.57 किमी और चौड़ाई 0.28 किमी है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बित्रा द्वीप की जनसंख्या 271 है। बित्रा द्वीप लक्षद्वीप के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। 30 मीटर ऊंचाई वाले जी आई ट्रेसल टावर का निर्माण वर्ष 1984 में किया गया था और वर्तमान लाइट एम बी एल-160 एलईडी फ्लैशर वर्ष 2011 में स्थापित किया गया था।
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